गुड फ्राइडे का पर्व इस शुक्रवार को श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाएगा। यह दिन प्रभु यीशु मसीह के बलिदान की याद में मनाया जाता है। शहर के सभी 18 चर्चों में इस अवसर पर दिनभर विशेष प्रार्थनाएं और आराधनाएं होंगी। शेपर्ड मेमोरियल चर्च, चेतक सर्किल पर दो
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पहली सुबह 8 से 9 बजे तक और दूसरी दोपहर 12 से 3 बजे तक चलेगी। इन आराधनाओं में दमोह से आए रेव्ह. हेरिस वाल्टर संदेश देंगे। इसके अलावा अलीपुरा स्थित आवर लेडी ऑफ फातिमा कैथेड्रल, खाराकुआं स्थित सेंट ग्रेगोरियस चर्च, रानी रोड स्थित राजस्थान पेंटीकॉस्टल चर्च, गोविंद नगर स्थित कलवरी कविनेंट चर्च, यूनिवर्सिटी रोड स्थित मारथोमा चर्च और अन्य चर्चों में भी विशेष प्रार्थनाएं की जाएंगी। शहर ही नहीं, बल्कि जिले के ग्रामीण क्षेत्रों जैसे पई, माकड़ादेव, गोरण, मोहम्मद फलासिया, माणस, बछार, जावर माइंस, खेरवाड़ा, रोबिया, घोड़ी, मसारों की ओबरी, खानमीन, डेय्या आदि गांवों के चर्चों में भी गुड फ्राइडे मनाया जाएगा। इस दिन की आराधनाओं में प्रभु यीशु मसीह द्वारा क्रूस पर कहे गए अंतिम सात वाक्यों पर प्रवचन दिए जाएंगे, जिन्हें ‘सेवन वर्ड्स फ्रॉम द क्रॉस’ कहा जाता है।
ये वाक्य मानवता के लिए उनका अंतिम संदेश माने जाते हैं और इन्हीं पर आधारित संदेश हर चर्च में दिए जाएंगे। गुड फ्राइडे को यीशु मसीह की मृत्यु का दिन माना जाता है, इसलिए इस दिन चर्चों में कोई सजावट नहीं की जाती। यह एक शोक का दिन होता है, इसीलिए आराधना भी गंभीर और श्रद्धा से भरी होती है। अन्य त्योहारों की तरह इस दिन चर्च को रंग-बिरंगे फूलों और सजावट से नहीं सजाया जाता।
प्रभु यीशु ने जीवनभर मानवता, दया और सत्य की राह पर चलने की शिक्षा दी
प्रभु यीशु मसीह ने क्रूस पर अपने प्राणों का बलिदान देकर मानव जाति को पापों से मुक्ति का रास्ता दिखाया और अनंत जीवन का मार्ग प्रशस्त किया। उन्हें झूठे आरोपों में धर्मद्रोही बताकर गिरफ्तार किया गया। कई अदालतों में पेश किया गया, लेकिन रोम के शासक पीलातुस ने उन्हें निर्दोष पाया। फिर भी यहूदी नेताओं के दबाव में उन्हें क्रूस पर चढ़ा दिया गया। गुलगुता नामक स्थान पर उन्हें क्रूस पर लटकाया गया, जहां उन्होंने पीड़ा सहते हुए भी अपने शत्रुओं के लिए प्रार्थना की कि ‘हे पिता, इन्हें क्षमा कर, क्योंकि ये नहीं जानते कि वे क्या कर रहे हैं।’ यह वाक्य प्रेम और क्षमा का सर्वोत्तम उदाहरण है। प्रभु यीशु ने जीवनभर मानवता, दया और सत्य की राह पर चलने की शिक्षा दी। उन्होंने परमेश्वर की आज्ञा का पालन करते हुए अपना बलिदान पूर्ण किया। इसीलिए इस दिन को गुड फ्राइडे कहा जाता है। यह कोई उत्सव नहीं, बल्कि उपवास, प्रार्थना और प्रभु के बलिदान को स्मरण करने का दिन है। यह अवसर है आत्मचिंतन का, जब हम प्रभु के पास लौटकर क्षमा और शांति की तलाश करते हैं।