जोधपुर में भीषण गर्मी से बचने के लिए फर्स्ट आरएसी की टीम ने एक अनूठा और पर्यावरण अनुकूल तरीका अपनाया है। रातानाड़ा क्षेत्र की सांसी कॉलोनी में तैनात जवानों ने पुरानी परंपरागत तकनीक को आधुनिक जरूरत के साथ जोड़कर एक सराहनीय पहल की है।
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जवानों ने वाहन के चारों ओर टाट और बोरी के टुकड़े बांधे हैं और ऊपर से छेद की हुई पानी की बोतलें लटका दी हैं। इन बोतलों से बूंद-बूंद गिरता पानी बोरियों को गीला रखता है। जब हवा इन गीली बोरियों से टकराती है, तो ठंडी होकर वाहन के अंदर जाती है, जिससे तापमान संतुलित रहता है।
पारंपरिक ज्ञान का कितना महत्व अजय सिंह सांसी ने बताया- यह सिर्फ एक जुगाड़ नहीं है, बल्कि प्रकृति के साथ तालमेल बिठाकर जीवन को आसान बनाने का तरीका है,” उन्होंने कहा कि आज के महंगे उपकरणों के युग में यह नवाचार दिखाता है कि स्थानीय संसाधनों और पारंपरिक ज्ञान का कितना महत्व है।
गर्मी से राहत का जरिया बनी इस जुगाड़ में न कोई महंगा उपकरण लगा है और न ही बिजली की जरूरत पड़ती है। यह पूरी तरह पर्यावरण अनुकूल और किफायती समाधान है। यह पहल न केवल गर्मी से राहत का जरिया बनी है, बल्कि अन्य सुरक्षाकर्मियों के लिए भी एक मिसाल बन गई है कि कैसे पुरानी परंपराओं को आधुनिक जरूरतों के साथ जोड़कर प्रभावी समाधान निकाला जा सकता है।