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CJI BR Gavai supreme Court – भारत को मिलेगा पहला बौद्ध मुख्य न्यायाधीश, न्यायमूर्ति बीआर गवई आज लेंगे CJI की शपथ, जानें उनका सफर – Justice BR Gavai oath 52 Chief Justice of India supreme court first Buddhist to hold post ntc


Justice BR Gavai To Take Oath As 52nd CJI: आज (बुधवार) 14 मई को देश के न्यायपालिका इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ने जा रहा है. देश को न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई (बीआर गवई) के तौर पर पहला बौद्ध मुख्य न्यायाधीश मिलने जा रहा है. न्यायमूर्ति गवई देश के 52वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) के रूप में शपथ लेंगे. 

खास बात ये भी है कि वह अनुसूचित जाति के दूसरे न्यायाधीश होंगे जो सर्वोच्च न्यायिक पद पर आसीन होंगे. न्यायमूर्ति संजीव खन्ना ने सीजेआई के रूप में बीआर गवई के नाम की सिफारिश की थी. न्यायमूर्ति संजीव का कार्यकाल 13 मई को समाप्त हो गया है.

न्यायमूर्ति गवई का कार्यकाल 14 मई से शुरू होगा और 23 नवंबर 2025 तक रहेगा. उनके नेतृत्व में न केवल न्यायपालिका को महत्वपूर्ण निर्णयों की उम्मीद है. बल्कि वे न्यायिक विरासत को भी नई दिशा देंगे. उन्होंने पहले कई संवेदनशील और संवैधानिक मामलों पर महत्वपूर्ण फैसले दिए हैं. 

महत्वपूर्ण निर्णय जिनका हिस्सा रहे न्यायमूर्ति गवई

न्यायमूर्ति गवई संविधान पीठ सदस्य के रूप में के कई अहम फैसलों के हिस्सा रह चुके हैं जो कि खुद में ऐतिहासिक रहा है. जिनमें बुलडोजर एक्शन की कड़ी आलोचना और उससे निपटने के लिए सख्त दिशा-निर्देश दिए.

न्यायमूर्ति गवई संविधान पीठ के सदस्य रहे जिन्होंने केंद्र की मोदी सरकार द्वारा 2019 में धारा 370 को निष्प्रभावी करने के फैसले को संवैधानिक ठहराया, चुनावी बॉन्ड योजना को असंवैधानिक ठहराना और 2016 के नोटबंदी को सही फैसले को सही ठहराने, ‘मोदी सरनेम’ मानहानि मामले में कांग्रेस नेता राहुत गांधी की सजा पर रोक और 2002 गोधरा दंगों से जुड़े केस में तीस्ता सीतलवाड़ को नियमित जमानत देने जैसे विवादास्पद मामलों में निर्णय दिया. 

न्यायाधीश संजीव खन्ना के विदाई समारोह में शामिल हुए न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई (फोटो क्रेडिट – सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन यूट

न्यायमूर्ति गवई का परिचय

न्यायमूर्ति बीआर गवई का जन्म महाराष्ट्र के अमरावती में 24 नवंबर 1960 में हुई थी. उन्होंने 16 मार्च 1985 से वकालत की शुरुआत की. 1987 से 1990 तक बॉम्बे हाईकोर्ट में स्वतंत्र वकालत किया. इसके बाद उन्होंने  नागपुर बेंच में वकालत पर ध्यान केंद्रित किया. 1992–1993 तक नागपुर बेंच में सरकारी वकील रहे.

यह भी पढ़ें: ‘CJI के पद के बाद कोई जिम्मेदारी ठीक नहीं’, बोले भारत के अगले मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई

जनवरी 2000 में न्यायमूर्ति गवई को नागपुर बेंच के लिए पब्लिक प्रॉसिक्यूटर बनाया गया. 14 नवंबर 2003 को उनको बॉम्बे हाईकोर्ट के एडिशनल जज नियुक्त किया गया. 12 नवंबर 2005 को स्थायी जज बने. 24 मई 2019 को सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में नियुक्त किए गए. 

न्यायिक योगदान और विरासत

सुप्रीम कोर्ट के वेबसाइट अनुसार, बीते छह सालों में न्यायमूर्ति गवई 700 से अधिक बेंचों का हिस्सा रहे और  लगभग 300 फैसलों के लेखक रहे. जिनमें संवैधानिक और प्रशासनिक कानून, सिविल कानून, आपराधिक कानून, कमर्शियल डिस्प्यूट, मध्यस्थता कानून, बिजली कानून, शिक्षा मामले, पर्यावरण कानून आदि सहित विभिन्न विषय शामिल थे.  

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