aathava vatana aayaga 694af9674a5e6129761e30397f384b64.jpeg

8th Pay Commission Even After 2.86 Fitment Factor There Will Be A Marginal Increase In Salary Of Employees – Amar Ujala Hindi News Live


8th Pay Commission: इस साल जनवरी में जब से केंद्र सरकार  ने 8वें वेतन आयोग  के गठन की घोषणा की है, उसके बाद से लगातार फिटमेंट फैक्टर को लेकर चर्चाएं चल रही हैं। फिटमेंट फैक्टर वह आधार है, जिस पर केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनधारकों के नए मूल वेतन की गणना की जाएगी। 1.2 करोड़ से अधिक कर्मचारी और पेंशनर्स यह जानने के लिए बेताब हैं कि उनके वेतन और पेंशन में वास्तविक रूप से कितनी बढ़ोतरी होगी। विभिन्न कर्मचारी संगठन 2.86 फिटमेंट फैक्टर की मांग कर रहे हैं। लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि वास्तविक वेतन वृद्धि इससे कम हो सकती है, क्योंकि फिटमेंट फैक्टर का बड़ा हिस्सा मुद्रास्फीति समायोजन के लिए जाता है।

Trending Videos

फिटमेंट फैक्टर और वेतन वृद्धि 

विभिन्न कर्मचारी संगठन ऊंचे फिटमेंट फैक्टर की मांग कर रहे हैं। कुछ कर्मचारी संगठन 2.86 फिटमेंट फैक्टर की मांग कर रहे हैं, ताकि वेतन और पेंशन में अच्छी खासी बढ़ोतरी हो सके। फिटमेंट फैक्टर मूल वेतन पर लागू होता है। उदाहरण के लिए, यदि 8वां वेतन आयोग 1.92 का फिटमेंट फैक्टर सुझाता है, तो न्यूनतम मूल वेतन 18,000 रुपए से बढ़कर 34,560 रुपए हो जाएगा। वहीं अगर फिटमेंट फैक्टर 2.86 रहता है, तब मूल वेतन बढ़कर 51,480 रुपए तक पहुंच सकता है। हालांकि, विशेषज्ञों के अनुसार, फिटमेंट फैक्टर का बड़ा हिस्सा महंगाई भत्ते (डीए) और मुद्रास्फीति समायोजन के लिए उपयोग होता है, जिससे वास्तविक वेतन वृद्धि सीमित रहती है। पूर्व वित्त सचिव सुभाष गर्ग ने कहा कि 2।86 का फिटमेंट फैक्टर “असंभव” है, और यह 1.92 के आसपास रह सकता है, जिससे वेतन वृद्धि अपेक्षाकृत कम होगी।

पुराने वेतन आयोग से तुलना 

इतिहास बताता है कि फिटमेंट फैक्टर और वास्तविक वेतन वृद्धि में बड़ा अंतर होता है। 6वें वेतन आयोग (2006) में फिटमेंट फैक्टर 1.86 था, लेकिन वास्तविक वेतन वृद्धि 54 फीसद हुई थी। इसके विपरीत, 7वें वेतन आयोग (2016) में फिटमेंट फैक्टर 2.57 था, लेकिन वास्तविक वेतन वृद्धि केवल 14।2 फीसद थी। 7वें वेतन आयोग में 2.57 के फिटमेंट फैक्टर में से 2.25 फीसद मौजूदा वेतन और 125 फीसद महंगाई भत्ते के समायोजन के लिए इस्तेमाल किया गया, जबकि केवल 0.32 फीसद  वास्तविक वेतन वृद्धि के लिए इस्तेमाल किया गया। इससे स्पष्ट है कि फिटमेंट फैक्टर का अधिकांश हिस्सा मुद्रास्फीति समायोजन में चला जाता है, जिससे कर्मचारियों को “नया पैसा” कम मिलता है।

कर्मचारी संगठनों की मांग

नेशनल काउंसिल-जॉइंट कंसल्टेटिव मशीनरी (NC-JCM) जैसे विभिन्न कर्मचारी संगठन 2।86 या उससे अधिक फिटमेंट फैक्टर की मांग कर रहे हैं, ताकि वेतन और पेंशन में पर्याप्त वृद्धि हो सके। NC-JCM के सचिव शिव गोपाल मिश्रा ने कहा कि मुद्रास्फीति की गति को देखते हुए फिटमेंट फैक्टर 7वें आयोग से अधिक होना चाहिए। हालांकि, सरकार की सहमति इस मांग पर आसान नहीं दिखती। कर्मचारी संगठन न्यूनतम वेतन को 34,000 से 51,480 रुपए तक बढ़ने की उम्मीद कर रहे हैं, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि वास्तविक वृद्धि इससे कम होगी।

सरकार की तैयारियां

वित्त मंत्रालय ने पिछले महीने दो सर्कुलर जारी कर 8वें वेतन आयोग के लिए 40 कर्मियों की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू होने की जानकारी दी है। ये पद विभिन्न सरकारी विभागों से डेपुटेशन पर भरे जाएंगे। सरकार जल्द ही आयोग के टर्म्स ऑफ रेफरेंस को अंतिम रूप देगी, जिसके बाद चेयरमैन और प्रमुख सदस्यों की नियुक्ति होगी। 8वां वेतन आयोग 1 जनवरी 2026 से लागू होगा, क्योंकि 7वां वेतन आयोग 31 दिसंबर 2025 को समाप्त हो रहा है। वर्तमान में 47 लाख केंद्रीय कर्मचारी और 65 लाख पेंशनर्स इस आयोग की सिफारिशों का इंतजार कर रहे हैं।

सरकार पर वित्तीय बोझ 

7वें वेतन आयोग के लागू होने से सरकार पर 1.02 लाख करोड़ रुपए का अतिरिक्त बोझ पड़ा था। अगर फिटमेंट फैक्टर 2.86 के करीब होता है तब 8वें वेतन आयोग के साथ सरकार पर वित्तीय बोझ बढ़ने की उम्मीद है। कर्मचारियों को उम्मीद है कि नई सिफारिशें उनके जीवन स्तर को बेहतर करेंगी, लेकिन विशेषज्ञ चेता रहे हैं कि वास्तविक वेतन वृद्धि 20 से 35 फीसद के बीच रह सकती है। क्योंकि वेतन वृद्धि का एक बड़ा हिस्सा मुद्रास्फीति समायोजन में जाएगा। कर्मचारी और पेंशनर्स चाहते हैं कि आयोग के सदस्यों की नियुक्ति जल्द हो, ताकि सिफारिशें समय पर लागू हो सकें।

ऐसी और काम की खबरों को पढ़ने के लिए जाएं TheBonus.in पर

Shopping Cart
Scroll to Top