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‘डैडी मम्मी को मत बताना, वो जाने नहीं देंगी…’ विंग कमांडर व्योमिका सिंह के संघर्ष की कहानी, माता-पिता की ज़ुबानी – wing commander vyomika singh inspirational journey from childhood to indian air force video lcla


विंग कमांडर व्योमिका सिंह (Wing Commander Vyomika Singh) आज भारतीय सुरक्षा का मजबूत स्तंभ बन चुकी हैं. उनके संघर्ष और समर्पण की गाथाएं आज पूरे देश में गूंज रही हैं. उनके माता-पिता के साथ आजतक ने विशेष बातचीत की. उन्होंने इस बातचीत में व्योमिका सिंह के बचपन से जुड़ी कई दिलचस्प और प्रेरणादायक बातें साझा कीं.

व्योमिका सिंह के पिता आरएस निम और उनकी मां करुणा सिंह दोनों अपनी बेटी के संघर्ष और सफलता पर गर्व महसूस करते हैं. वे बताते हैं कि जब उनकी बेटी दसवीं कक्षा में थी, तब से ही उसके मन में पायलट बनने का सपना था. हालांकि, शुरुआत में उन्होंने माता-पिता को ये नहीं बताया.

व्योमिका के माता-पिता का कहना है कि व्योमिका ने कभी भी सामान्य बच्चों की तरह व्यवहार नहीं किया. वह हमेशा किसी न किसी एक्टिविटी में भाग लेती थी- चाहे वह खेलकूद हो, डिबेट हो या फिर अन्य कोई प्रतियोगिता. वह हमेशा हर मामले में अव्वल रही, चाहे वह स्कूल हो या फिर अन्य क्षेत्र.

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व्योमिका के पिता बताते हैं कि वो बहुत ही अलग थी, नॉर्मल बच्चों से बहुत अलग. स्कूल में वह हमेशा फर्स्ट आती थी और खेल कूद में भी भाग लेती थी. एक बार तो वह एक मार्केट में प्रतियोगिता में शामिल हुई थी, जिसमें लड़कों के साथ उसने चैलेंज जीता था. इसके बाद उसे बीस हजार आठ सौ रुपये का इनाम मिला था.

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व्योमिका के परिवार के अनुसार, वह हमेशा से ही आत्मविश्वास से भरपूर और संघर्षशील रही हैं. एक बार तो वह सीढ़ियों पर चढ़ते समय सीटी बजा रही थी, जब उसकी मां ने उसे यह कहते हुए टोका कि लड़कियों को ऐसा नहीं करना चाहिए, तो व्योमिका का जवाब था- लड़की और लड़के में अंतर क्यों करना चाहिए? लड़कियां भी जो चाहें कर सकती हैं.’ व्योमिका की यह सोच और आत्मविश्वास ही उसकी सफलता की कुंजी बना.

एक और किस्सा बताते हुए व्योमिका के माता-पिता कहते हैं कि एक बार व्योमिका ने जो पुरस्कार जीते थे, उसे परिवार ने बड़े गर्व के साथ सहेजा. यह पुरस्कार हमारे पास धरोहर बन गया. व्योमिका ने जब एयरफोर्स में जाने का मन बनाया तो वह यह बात अपनी मां से छिपाकर रखना चाहती थीं. उन्होंने पहले अपने पिता से इसकी चर्चा की थी और कहा था कि डैडी, मम्मी को मत बताना, वह नहीं मानेंगी. 

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जब व्योमिका ने सभी टेस्ट पास कर लिए और उन्हें एयरफोर्स में चयनित कर लिया गया तो उन्होंने यह खुशखबरी सबसे पहले अपनी मां से साझा की थी. हालांकि, पहले उनकी मां को विश्वास ही नहीं हुआ. उनका कहना था कि यह सब बहुत अचानक हुआ, हम तो बस इस खबर से चौंक गए थे. व्योमिका अपने आस-पास के लोगों के लिए प्रेरणा रही हैं, खासकर लड़कियों के लिए. उन्होंने यह संदेश दिया है कि लड़कियां किसी से कम नहीं होतीं.

व्योमिका को हर कदम पर अपने माता-पिता का पूरा समर्थन मिला है. व्योमिका सिंह की सफलता की कहानी एक संघर्षशील और सशक्त महिला की कहानी है, जो न केवल भारतीय सेना के लिए गर्व का कारण बनीं, बल्कि उन सभी महिलाओं के लिए भी प्रेरणा हैं, जो अपने सपनों को पूरा करने के लिए हर मुश्किल का सामना करती हैं.

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